Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -19-Jun-2023.... तेरा मेरा साथ...

नमस्ते आंटी... निधि कहाँ हैं....? 

वो नहाने गई हैं..। आओ तुम अंदर आ जाओ बेटा...। 

हे भगवान... ये निधि ना... खुद भी लेट होगी... ओर मुझे भी लेट करवाएगी..। 

रेणु बड़बड़ाते हुए अंदर बाथरूम की ओर चल दी... ओर वहाँ जाकर बाथरूम का दरवाजा खटका कर बोलीं :- निधि की बच्ची... जल्दी निकल... वरना आज तो मैं पक्का तुझे छोड़ कर चलीं जाऊंगी...। रोज़ तेरी वजह से देर हो जाती हैं... बाहर आ रहीं हैं या मैं जाऊँ...। कुछ बोलेगी अभी...! 

रेणु कुछ जवाब नहीं आने पर पैर पटकती हुई कमरे से बाहर जा ही रहीं थीं की पीछे से निधि ने बाथरूम का दरवाजा खोला ओर एक गाना गुनगुनाया :-" मैं देर करतीं नहीं..... देर हो जाती हैं...।" 

निधि की बच्ची.... तेरा तो रोज का ड्रामा हैं...। कल से मैं बुलाने आऊंगी ही नहीं...। 

अच्छा मेरी जान.... तु अपनी जान को छोड़ कर चलीं जाएगी... हाय.... फिर तो इस जान की जान पक्का निकल जाएगी..। निधि मुस्कुराते हुए बोली..। 

बस बस.... बंद कर अपने ये फिल्मी डायलॉग ओर जल्दी कर यार... बहुत देर हो गई हैं...। 

बस दो मिनट जानेमन...। 


तकरीबन पांच मिनट बाद दोनों सहेलियाँ तैयार होकर आफिस के लिए निकल गई...। 


( निधि और रेणु.....बचपन से दोनों साथ साथ रही....।दोनो का घर बस थोड़ी ही दूरी पर था....पर एक ही मौहल्लै में था...। एक ही स्कूल में दोनों पढ़ी....साथ खेली..साथ साथ बड़ी हुई...। दोनों के ना सिर्फ परिवार वाले बल्कि पूरा मौहल्ला उनकी दोस्ती की मिसाल देता था...। ऐसी दोस्ती की लोग उनकी दोस्ती का वास्ता तक देते थे...।बड़ी होकर दोनों ने नौकरी भी एक ही आफिस में की... ।
रेणु के पिता नहीं थे....। वो संपन्नता के नजरिये में निधि से काफी कम थीं...।रेणु और उसकी माँ सिर्फ दो ही लोग थे...किराए के एक छोटा सा एक कमरे का घर था...। नौकरी से पहले रेणु ट्यूशन क्लासिस चलाती थीं और उसकी माँ सिलाई का काम करतीं थीं...।ऐसे उनका गुजारा अच्छे से चल रहा था...।रेणु की नौकरी लग जाने के बाद रेणु ने अपनी माँ से सिलाई काम बंद करवा दिया था...। वहीं निधि एक संपन्न परिवार से थीं...।एक बड़ा भाई और भाभी जो दूसरे शहर में रहते थे...। दोनों वहीं नौकरी करते थे और  हर महीने खर्च भेजते थे.. पिता रिटायर क्लर्क थे....जिनकी पेंशन अभी भी आतीं थीं....और माँ एक गृहणी थीं....। असल में सच कहा जाए तो निधि को नौकरी करने में कोई दिलचस्पी नहीं थीं.... लेकिन वो सिर्फ रेणु की वजह से नौकरी कर रहीं थी...। क्योंकि दोनों एक दूसरे के बिना कभी एक घंटा भी दूर नहीं हुई थीं.... फिर आठ घंटों का फासला भला निधि कैसे रख सकतीं थीं...। इसलिए निधि नौकरी को इतना सिरियस भी नहीं ले रहीं थीं... वो आफिस के काम को भी बहुत हल्के में ले रहीं थीं...। जबकि रेणु बिल्कुल इसके विपरीत काम के प्रति पूरी इमानदारी निभा रहीं थीं...।) 


निधि अपने दुपहिया वाहन पर ही रोजाना आफिस जाती थीं...। रेणु भी उसके साथ ही होतीं थीं...। 

निधि जल्दी चला यार...अगर आज भी लेट हो गए तो फिर से बॉस गुस्सा करेंगे.... तु तो जानती हैं यार....। 


अरे यार.... तु उस खड़ूस से इतना डरती क्यूं हैं...। जस्ट चिल... मैं हूँ ना तेरे साथ... जब तक मैं हूँ... वो तुझे कुछ नहीं बोलेगा..। 

हाँ हाँ पता हैं... वो तुझे कुछ नहीं कहता.... लेकिन मेरी तो रोज़ क्लास लेता हैं ना....। यार मुझे सच में समझ नहीं आता हैं वो तुझे कुछ क्यूँ नहीं कहता हैं...। 

डियर.... आज के बाद वो तुझे भी कुछ नहीं बोलेगा.... तु टेंशन ना ले...। अभी तक उसने मुझे जाना कहां हैं...। शायद अभी तक उसे पता नहीं हैं की तु मेरी कौन हैं...। 

तु ऐसा तो क्या करने वाली हैं...!? 

तु बस आम खा गुठलियां  मत गिन.. तुझे कहा ना अब वो तुझे कुछ नहीं बोलेगा...। 


रेणु कुछ ओर बोलती इससे पहले ही वो दोनों आफिस पहुंच गई....। 

चल तु ऊपर जा... मैं गाड़ी पार्किंग में रखकर आतीं हूँ...। 



क्या आज फिर रेणु को डांट मिलने वाली थीं.. 
या आज निधि सच में उसे बचा लेगी..! 
कैसी होगा दोनों सहेलियों की आगे का सफ़र...! 

जानने के लिए पढ़े अगला भाग...। 

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5 Comments

Shnaya

23-Jun-2023 11:45 PM

V nice

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Varsha_Upadhyay

23-Jun-2023 03:09 PM

बहुत खूब

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Madhumita

20-Jun-2023 04:24 PM

Nice 👍🏼

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